उत्तर प्रदेश में पिछले महीने नेमप्लेट को लेकर शुरू हुआ विवाद अभी थमा नहीं, योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर चलते हुए हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी अहम फैसला लिया है. अब हिमाचल प्रदेश में भी रेहड़ी-पटरी वालों और होटल मालिकों को अपनी दुकानों के आगे नेमप्लेट लगानी होगी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट लगाने पर बैन लगा दिया गया था.
सुक्खू सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इसका ऐलान किया. इसके लिए तमाम स्ट्रीट वेंडर्स को पहचान पत्र जारी किया जाएगा. इस फैसले के पीछे वजह ग्राहकों के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाना है.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि जितने भी स्ट्रीट वेंडर्स हैं जो कोई या सामान या खाने-पीने की चीजें बेच रहे हैं. उन पर ध्यान जाएगा. वो अच्छी हाइजीनिक चीजें बेचें, इस पर फूड सप्लाई विभाग के कर्मचारी ध्यान रखेंगे. जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि उनको अपना नाम-आईडी लगानी होगी. इस तरह यहां भी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नियम लाने पर विचार किया जा रहा है.
विक्रमादित्य के बयान पर विवाद खड़ा होने के बाद प्रदेश सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है। सरकार ने कहा है कि अभी तक ऐसे किसी भी फैसले को लागू नहीं किया गया है। सरकार की ओर से विक्रेताओं द्वारा अपनी दुकानों पर नेमप्लेट या अन्य पहचान अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्रदेश सरकार स्ट्रीट वेंडर्स से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में निर्णय लेने से पूर्व सभी सुझावों पर संवेदनशीलता से विचार किया जाएगा