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देश भर मे जन्माष्टमी की धूम, यहाँ पड़े पूजा की पूरी विधि

August 25, 2024 –
हिन्दी पांचांग के भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि मथुरा के राजा कंस का अत्याचार जब हद से ज्यादा बढ़ गया और धर्म पर संकट छाने लगा तब भगवान विष्णु ने आसुरी प्रवृत्ति का नाश करने के लिए पूर्ण कला का अवतार लिया जिसे भगवान श्रीकृष्ण के नाम से जाना गया. भगवान श्रीकृष्ण के जीवन को मनुष्य रूप में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. आज भी कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भारतवर्ष में जगह-जगह पर श्रीकृष्ण बाल-लीला और रास लीला का मंचन किया जाता है. इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया जा रहा है.

जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है।

भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, जो उस समय कंस के शासन में था। कंस को एक भविष्यवाणी हुई थी कि कृष्ण उसे मारेंगे, इसलिए उसने कृष्ण के पिता वसुदेव और माता देवकी को जेल में डाल दिया था। लेकिन भगवान कृष्ण के जन्म के समय, जेल के दरवाजे खुल गए और वसुदेव ने कृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के घर छोड़ दिया।

जन्माष्टमी के दिन, लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उनके जन्म की कहानी सुनते हैं। लोग अपने घरों को सजाते हैं, भगवान कृष्ण की मूर्तियों की पूजा करते हैं और भजन गाते हैं। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा की विधि:

सामग्री:
– श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र
– पूजा की थाली
– फूल
– फल
– मिठाई
– दही
– गंगाजल
– तुलसी पत्ता
– धूप
– दीपक

पूजा विधि:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
2. पूजा स्थल को साफ करें और श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
3. पूजा की थाली में फूल, फल, मिठाई, दही, गंगाजल, तुलसी पत्ता आदि रखें।
4. धूप और दीपक जलाएं।
5. श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पर फूल चढ़ाएं और उनकी पूजा करें।
6. श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करें: “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” या “श्री कृष्ण शरणम

जन्माष्टमी का त्योहार मथुरा और वृंदावन में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ये दोनों शहर भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े हुए हैं और यहाँ के लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साह से मनाते हैं।

मथुरा में जन्माष्टमी:
मथुरा में जन्माष्टमी की तैयारियाँ कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। शहर को सजाया जाता है, मंदिरों को सजाया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भक्तजन मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी सुनते हैं।

वृंदावन में जन्माष्टमी:
वृंदावन में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही विशेष रूप से मनाया जाता है। यहाँ के मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तजन मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में तो जन्माष्टमी की रात को विशेष पूजा होती है, जिसमें हजारों भक्तजन भाग लेते हैं।

जन्माष्टमी की रात को मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भक्तजन मंदिरों में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उनके जन्म की कहानी सुनते हैं। इसके अलावा यहाँ के लोग जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष व्यंजन भी बनाते हैं, जैसे कि माखन मिश्री और पंजीरी।

इस प्रकार, मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ के लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साह से मनाते हैं और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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