
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब का दौरा अचानक छोड़ आए तो उन्होंने एयरपोर्ट पर आपात मीटिंग में स्पष्ट निर्देश दिया कि इसका बदला लिया ही जाएगा। 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद अगले तीन दिनों के अंदर ऑपरेशन सिंदूर की रूपरेखा तैयार कर ली गई। इसके बाद सेना को ऑपरेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी मिली। सेना ने सरकार को जानकारी दी कि करीब 10 दिनों की तैयारी के बाद ऑपरेशन सिंदूर होगा। ठिकाने तय कर लिए गए। इंटेलिजेंस जानकारी मुहैया करानी चुनौती थी।
इसके बाद इन 10 दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ग्लोबल स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी कार्रवाई पर आम सहमति बनाना था। शुरू से भारत को अंदाजा था कि मौजूदा ग्लोबल हालात को देखते हुए यह उतना आसान नहीं होगा। सरकार को यह भी पता था कि तनाव बढ़ने के बीच ग्लोबल समुदाय मध्यस्थता को लेकर सामने आएगा। उधर, जब पाकिस्तान ने भारत के सख्त रवैये को देखते हुए पहलगाम आतंकी हमले की जांच में सहयोग देने का नाटक दिखाया। भारत को अंदाजा लग गया कि पाकिस्तान इस मसले पर विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश करेगा। ऐसे में भारत इंतजार कर रहा था कि पहले ऑपरेशन सिंदूर हो जाए।
ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया
7 मई को जब ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, उसके बाद भारत ग्लोबल समुदाय के हस्तक्षेप के लिए तैयार था। सूत्रों के अनुसार, पीएम नरेन्द्र मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से साफ कहा कि वह दूसरे देशों से संपर्क बनाए रखें लेकिन हालात पर कोई वादा नहीं करें। भारत की रणनीति थी कि पहले पाकिस्तान का रुख देखें। सूत्रों के अनुसार, भारत ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था, लेकिन पाकिस्तान की हरकत को देखते हुए इसे टाल दिया गया। भारत को यहां अंतिम समय में रणनीति बदलनी पड़ी। भारत ने इस बार पाकिस्तान पर बड़ा प्रहार करने का मन बना लिया।
भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले तेज सैन्य टकराव के बाद हुए युद्धविराम ने फिलहाल दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों को एक व्यापक युद्ध की कगार से पीछे खींच लिया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा 7 मई को आतंकियों के खिलाफ शुरू किए गए जवाबी हमलों के बाद दोनों देशों के बीच मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमानों और आर्टिलरी के जरिये बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई हुई। हालांकि एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा युद्धविराम उल्लंघन लेकिन कागजी तौर पर यह समझौता तनाव को थामने में सफल रहा है।
अमेरिका और सऊदी जैसे देश भारत को मनाने की कोशिश कर रहे थे। भारत ने दोनों देशों से कहा कि अंतिम वॉर उसका होगा तब जाकर कोई बात होगी। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार की सुबह ही लगभग सहमति बनती दिख रही थी। गुरुवार देर रात भारत ने पाकिस्तान के कई ठिकानों पर अपने मंसूबे दिखा दिए। पाकिस्तान सरकार ने भी सऊदी और अमेरिका को सकारात्मक संकेत दिया लेकिन शुक्रवार देर रात जब पाकिस्तान ने फिर भारत के दर्जनों ठिकानों पर हमला किया तो भारत का सब्र समाप्त हो गया। भारत और मजबूत प्रहार की तैयारी करने लगा।
पाक के सेना प्रमुख से US की बात
अमेरिका को पाकिस्तान सरकार के सूत्रों से पता चला कि कहीं न कहीं सेना और सरकार के बीच मतभेद है। यही कारण है कि अमेरिका ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए पाकिस्तान सेना प्रमुख मुनीर को फोन किया। कहा जा रहा है कि उनके रवैये के कारण सख्त नाराजगी जताई गई। चेतावनी दी गई कि अगर पाकिस्तान सेना अपनी हरकत नहीं रोकेगा तो फिर वह अपना अंजाम भुगतेगा और भारत के प्रहार से बचाने मे कोई मदद नहीं करेगा। पूरे ग्लोबल समुदाय ने पाकिस्तान को लगभग यही संदेश दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने हड़बड़ी में भारत के सामने बातचीत और अपने रवैये में नरमी लाने का संकेत दिया। उसके बाद भारत ने भी प्रस्ताव को स्वीकारा और एक युद्ध जो लगभग तय लग रहा था वह टलने में सफल हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई को तड़के हुई थी। भारत ने 26 मिनट के भीतर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर लगभग 100 आतंकियों को मार गिराया। ये शिविर खुफिया सूचनाओं के आधार पर चुने गए थे, जो कई वर्षों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सक्रिय थे।
इनमें से 5 ठिकाने एलओसी से 9 से 30 किलोमीटर भीतर PoK में थे, जबकि बाकी 6 से 100 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के भीतर स्थित थे। हमलों में राफेल लड़ाकू विमानों से लॉन्च किए गए स्कैल्प क्रूज मिसाइल, हैमर स्मार्ट हथियार, M777 हॉवित्जर से दागे गए एक्सकैलिबर गोला और कामिकाजे ड्रोन (लोइटरिंग म्यूनिशन) शामिल थे।
10 मई की रात सबसे भीषण हमला, सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तान को 10 मई की रात झेलना पड़ा जब भारतीय वायुसेना ने रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर, चूनियां, पसरूर और सियालकोट में आठ सैन्य ठिकानों पर हमला किया। ये हमले रातभर चले और इनमें पाकिस्तान की रडार इकाइयों, गोला-बारूद भंडार, कमांड सेंटर्स और तकनीकी संरचनाओं को ध्वस्त किया गया।
पाक सेना की जवाबी कोशिशें बेकार
8-9 मई की रात पाकिस्तान ने 300-400 तुर्की निर्मित ‘सोंगर’ सशस्त्र ड्रोन से भारत के 36 स्थानों पर हमला करने की कोशिश की, जिसमें लद्दाख से लेकर गुजरात के सिर क्रीक तक के ठिकाने शामिल थे। लेकिन अधिकतर ड्रोन भारतीय सेना द्वारा मार गिराए गए। इसके बाद अगले दिन पाकिस्तान ने 26 और ठिकानों पर ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारत ने अपने एयर डिफेंस से निष्फल किया।
पाकिस्तान ने जवाब में उत्तर और पश्चिम भारत के 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने मिसाइलों और ड्रोन हमलों को विफल कर दिया। इसके बाद भारत ने लाहौर और कराची समेत कई स्थानों पर पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियों को तबाह कर दिया। भारतीय सेना ने इन हमलों के दौरान S-400, आकाश और बराक-8 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों के अलावा अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन तकनीक का उपयोग किया। रडार और कमांड सेंटर की नेटवर्क प्रणाली से खतरों की पहचान कर त्वरित प्रतिक्रिया दी गई।
पाक की सैन्य क्षमता को करारा झटका
भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा, “स्कर्दू, सर्गोधा, जैकोबाबाद और भोलेरी जैसे महत्वपूर्ण एयरबेसों को भारी नुकसान पहुंचा है। रडार और वायु रक्षा हथियारों की क्षति से पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह निष्क्रिय हो चुकी है।” उन्होंने कहा कि एलओसी के पार भी सैन्य ढांचे, लॉजिस्टिक्स और नियंत्रण केंद्रों को सटीक तरीके से निशाना बनाया गया, जिससे पाकिस्तान की न तो रक्षा और न ही आक्रामक क्षमताएं प्रभावी रह गईं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई कार्रवाई के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानको सख्त संदेश दिया है.एयर मार्शल भारती ने कहा, “अगर पाकिस्तान ने भविष्य में किसी भी प्रकार का उल्लंघन किया, तो हम उसी कड़े अंदाज में जवाब देंगे”भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख अटल है और वह किसी भी आतंकी गतिविधि का मुंहतोड़ जवाब देगी.
भारत-पाकिस्तान युद्ध, जिसे प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध भी कहा जाता है , अक्टूबर 1947 में शुरू हुआ जब पाकिस्तान को डर था कि कश्मीर और जम्मू रियासत के महाराजा भारत में शामिल हो जाएंगे। विभाजन के बाद, रियासतों को यह चुनने के लिए छोड़ दिया गया था कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें। रियासतों में सबसे बड़ी जम्मू और कश्मीर में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी और महत्वपूर्ण अनुपात में हिंदू आबादी थी, इन सभी पर हिंदू महाराजा हरि सिंह का शासन था । पाकिस्तान की सेना के समर्थन से कबायली इस्लामी ताकतों ने रियासत के कुछ हिस्सों पर हमला किया और कब्जा कर लिया, जिससे महाराजा को भारतीय सैन्य सहायता प्राप्त करने के लिए रियासत के भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 22 अप्रैल 1948 को प्रस्ताव 47 पारित किया। 1 जनवरी 1949 की रात 23:59 बजे औपचारिक युद्ध विराम की घोषणा की गई।
1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
यह युद्ध पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद शुरू हुआ था , जिसे भारत के शासन के खिलाफ विद्रोह को तेज करने के लिए जम्मू और कश्मीर में सेना घुसपैठ कराने के लिए तैयार किया गया था। भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमला करके जवाबी कार्रवाई की । सत्रह दिनों तक चले इस युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों लोग हताहत हुए और बख्तरबंद वाहनों की सबसे बड़ी मुठभेड़ और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा टैंक युद्ध हुआ। सोवियत संघ और अमेरिका के कूटनीतिक हस्तक्षेप और उसके बाद ताशकंद घोषणा जारी होने के बाद युद्ध विराम की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच शत्रुता समाप्त हो गई
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
यह युद्ध इस मायने में अनूठा था कि इसमें कश्मीर का मुद्दा शामिल नहीं था, बल्कि यह पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश ) में पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर रहमान और पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं याह्या खान और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच चल रहे राजनीतिक युद्ध से पैदा हुए संकट के कारण हुआ था। इसकी परिणति पाकिस्तान की राज्य प्रणाली से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा के साथ हुई । ऑपरेशन सर्चलाइट और 1971 के बांग्लादेश अत्याचारों के बाद , पूर्वी पाकिस्तान में लगभग 10 मिलियन बंगालियों ने पड़ोसी भारत में शरण ली। भारत ने चल रहे बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में हस्तक्षेप किया । पाकिस्तान द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए एहतियाती हमले के बाद , दोनों देशों के बीच पूर्ण पैमाने पर शत्रुता शुरू हो गई।
पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर कई स्थानों पर हमला किया, लेकिन भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक अपनी स्थिति बनाए रखी। भारतीय सेना ने पश्चिम में पाकिस्तानी सेना की हरकतों का तुरंत जवाब दिया और कुछ शुरुआती लाभ अर्जित किए, जिसमें लगभग 15,010 वर्ग किलोमीटर (5,795 वर्ग मील) पाकिस्तानी क्षेत्र पर कब्जा करना शामिल था (पाकिस्तानी कश्मीर, पाकिस्तानी पंजाब और सिंध क्षेत्रों में भारत द्वारा प्राप्त की गई भूमि लेकिन सद्भावना के संकेत के रूप में 1972 के शिमला समझौते में इसे पाकिस्तान को वापस कर दिया गया )। दो सप्ताह की भीषण लड़ाई के भीतर, पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय और बांग्लादेशी सेना की संयुक्त कमान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया , जिसके बाद पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ बांग्लादेश का निर्माण हुआ। युद्ध के परिणामस्वरूप 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। एक पाकिस्तानी लेखक के
शब्दों में, “पाकिस्तान ने अपनी आधी नौसेना, अपनी वायु सेना का एक चौथाई और अपनी सेना का एक तिहाई हिस्सा खो दिया”।
कारगिल युद्ध (1999)
दोनों देशों के बीच यह संघर्ष ज्यादातर सीमित था। 1999 की शुरुआत में, पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर घुसपैठ की और ज्यादातर कारगिल जिले में भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया । भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए एक प्रमुख सैन्य और कूटनीतिक आक्रमण शुरू करके जवाब दिया। संघर्ष के दो महीने बाद, भारतीय सैनिकों ने धीरे-धीरे अधिकांश पहाड़ियों पर फिर से कब्जा कर लिया, जिन पर घुसपैठियों ने अतिक्रमण किया था। आधिकारिक गणना के अनुसार, अनुमानित 75%-80% घुसपैठ वाले क्षेत्र और लगभग सभी ऊंचे मैदान भारतीय नियंत्रण में वापस आ गए थे। सैन्य संघर्ष में बड़े पैमाने पर वृद्धि के डर से, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान पर शेष भारतीय क्षेत्र से सेना वापस लेने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया। अंतर्राष्ट्रीय अलगाव की संभावना का सामना करते वापसी के बाद पाकिस्तानी सेना का मनोबल गिर गया क्योंकि उत्तरी लाइट इन्फैंट्री की कई इकाइयों को भारी नुकसान हुआ। सरकार ने कई अधिकारियों के शवों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, एक मुद्दा जिसने उत्तरी क्षेत्रों में आक्रोश और विरोध को भड़का दिया। पाकिस्तान ने शुरू में अपने कई हताहतों को स्वीकार नहीं किया, लेकिन बाद में नवाज शरीफ ने कहा कि ऑपरेशन में 4,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और पाकिस्तान संघर्ष हार गया।
रिपोर्ट : अजित चौबे / विनय चतुर्वेदी