
दिनांक :- 06-04-2025,
दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का मुंबई में 87 साल की उम्र में निधन हो गया। श्री कुमार को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार को सुबह 3:30 बजे हृदय संबंधी जटिलताओं के कारण उनका निधन हो गया। अस्पताल द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण पत्र के अनुसार, मृत्यु का द्वितीयक कारण विघटित यकृत सिरोसिस है। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रशंसकों, मशहूर हस्तियों और राजनेताओं की ओर से सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। अपने पूरे करियर के दौरान, कुमार अभिनय के लिए जाने जाते थे – और कभी-कभी निर्देशन के लिए – ऐसी फ़िल्में जिनका ध्यान एकता और राष्ट्रीय गौरव पर होता था। इसके लिए, उन्हें अक्सर “भारत” कुमार कहा जाता था – जो भारत के लिए प्राचीन संस्कृत शब्द का संदर्भ है। श्री कुमार का जन्म 1937 में ब्रिटिश भारत (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) के उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के एक छोटे से शहर एबटाबाद में हुआ था I श्री कुमार ने 1957 में फिल्म फैशन से बॉलीवुड में पदार्पण किया।इसके बाद उन्हें कांच की गुड़िया (1961) में ब्रेक मिला। उनकी थ्रिलर, गुमनाम (1965), उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक थी, जिसने 2.6 करोड़ रुपये कमाए। श्री कुमार ने 1975 में अपनी फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता।
श्री कुमार को 1992 में पद्म श्री, 1999 में फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई थी उपकार ,1965 में मनोज कुमार देशभक्ति पर बनी फिल्म शहीद में स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के रोल में नजर आए थे। फिल्म जबरदस्त हिट रही और इसके गाने ‘ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम’, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ काफी पसंद किए गए थे।ये फिल्म लाल बहादुर शास्त्री को बेहद पसंद आई। शास्त्री जी ने नारा था- जय जवान, जय किसान। शास्त्री जी ने मनोज को इस नारे पर फिल्म बनाने की सलाह दी। इस पर मनोज ने फिल्म उपकार (1967) बनानी शुरू कर दी,Iप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया पर दिग्गज अभिनेता की पुरानी तस्वीरें शेयर कीं। पीएम ने लिखा, “दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से गहरा दुख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति के जोश के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मनोज जी के काम ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रज्वलित किया और पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।कुमार अपने पीछे देशभक्ति फिल्मों की एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं, जिसने उन्हें 1960 और 1970 के दशक में प्रसिद्धि दिलाई।
रिपोर्ट :– अभिनव गुप्ता