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पेरिस में एआई एक्शन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बदल सकता है लोगों का जीवन’ इससे नोकरिया जाएंगी नहीं बल्कि नई नोकरिया मिलेंगी, रोजगार के नए अवसर मिलेंगें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 11 फरवरी को एआई एक्शन शिखर सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ AI एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करते हुए कहा ‘मैं स्थायी AI के लिए परिषद में AI फाउंडेशन की स्थापना के निर्णय का स्वागत करता हूं. भारत अगले AI शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा – AI हमारी अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज को नया आकार दे रहा है और मानवता के लिए कोड लिख रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हम एआई युग के शुरुआती दौर में हैं, जो आने वाले समय में मानवता के मार्ग को आकार देगा,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- यदि आप अपनी मेडिकल रिपोर्ट किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ऐप पर अपलोड करते हैं, तो यह किसी भी शब्दजाल से मुक्त होकर सरल भाषा में समझा सकता है कि आपके स्वास्थ्य के लिए इसका क्या मतलब है। लेकिन, यदि आप उसी ऐप से किसी व्यक्ति को उसके बाएं हाथ से लिखते हुए चित्रित करने के लिए कहते हैं, तो सबसे अधिक संभावना है कि ऐप किसी व्यक्ति को उसके दाएं हाथ से लिखते हुए चित्रित करेगा। क्योंकि प्रशिक्षण डेटा में यही बात हावी है।
यह दर्शाता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सकारात्मक क्षमता बिल्कुल अद्भुत है, लेकिन इसमें कई पूर्वाग्रह भी हैं जिनके बारे में हमें सावधानी से सोचने की जरूरत है। इसलिए मैं इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने और मुझे इसकी सह-अध्यक्षता के लिए आमंत्रित करने के लिए अपने मित्र राष्ट्रपति मैक्रों का आभारी हूं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले से ही हमारी राजनीति, हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सुरक्षा और यहां तक कि हमारे समाज को नया आकार दे रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस सदी में मानवता के लिए कोड लिख रहा है। लेकिन, यह मानव इतिहास में अन्य प्रौद्योगिकी उपलब्धियों से बहुत अलग है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अभूतपूर्व पैमाने और गति से विकसित हो रहा है। इसे और भी तेज़ी से अपनाया जा रहा है। सीमाओं के पार भी गहरी अंतर-निर्भरता है। इसलिए, शासन और मानकों को स्थापित करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है, जो हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखें, जोखिमों से निपटे और भरोसे का निर्माण करें।
नौकरियों का नुकसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे भयावह पक्ष है। लेकिन, इतिहास बताता है कि प्रौद्योगिकी के कारण काम खत्म नहीं होता है। इसकी प्रकृति बदलती है और नए प्रकार की नौकरियां पैदा होती हैं। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस –संचालित भविष्य के लिए अपने लोगों को कौशल और पुनः कौशल प्रदान करने में निवेश करने की जरूरत है।
भारत और फ्रांस ने सूर्य की शक्ति का दोहन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहलों के माध्यम से वर्षों तक एक साथ काम किया है। जैसे-जैसे हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाते हैं, यह एक बेहतर और जिम्मेदार भविष्य को आकार देने के लिए स्थिरता से नवाचार की ओर एक स्वाभाविक प्रगति है।
साथ ही, सतत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब केवल स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करना नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मॉडल आकार, डेटा आवश्यकताओं और संसाधन जरूरतों में भी कुशल और टिकाऊ होने चाहिए। आखिरकार, मानव मस्तिष्क अधिकांश लाइटबल्बों की तुलना में कम बिजली का उपयोग करके कविता की रचना और अंतरिक्ष यान डिजाइन करने का सामर्थ्य रखता है।
हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग की शुरूआत में हैं जो मानवता की दिशा को आकार देगा। कुछ लोगों को बुद्धिमत्ता में मशीनों को इंसानों से बेहतर होने की चिंता है। लेकिन, हमारे सामूहिक भविष्य और साझा नियति की कुंजी हम इंसानों के अलावा किसी और के पास नहीं है।

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